प्रश्न – समाधि की प्राप्ति का रामबाण इलाज क्या है ॽ
उत्तर – रामबाण इलाज ध्यान है । ध्यान में नियमित रूप से एवं लम्बे अरसे तक उत्साहपूर्वक बैठने से अंत में मन का लय हो जाता है या मन नितांत शांत हो जाता है । उस अवस्था को समाधि दशा कहते हैं । मंत्र-जप से भी उस दशा की प्राप्ति हो सकती है किन्तु मंत्र-जप करते वक्त जब मन अन्य सबकुछ भूलकर ध्यान में रत होकर प्रवाहित होकर बहने लगे तभी उस दशा की अनुभूति होती है । इस दृष्टि से सोचने से यह कहना अनुचित नहीं है कि प्रधान मार्ग ध्यान का मार्ग ही है ।
प्रश्न – समाधि में साधक को शरीर का होश रहता है ॽ
उत्तर – यदि साधक को शरीर का होश रहता हो तो उस अवस्था को समाधि नहीं कहा जायेगा । समाधि की समुन्नत अवस्था में शरीर का होश बिलकुल नहीं रहता इतना ही नहीं काल तथा अपने आसपास के वातावरण का भी भान नहीं रहता । मन उन सबसे परे या अतीत हो जाता है । जहाँ तक शरीर का, काल का, एवं वातावरण का होश रहता हो वहाँ तक उस अवस्था को समाधि-दशा नहीं अपितु ध्यान-दशा कहते हैं । ध्यान एवं समाधि में क्या अंतर है यह समझने से समाधि के रहस्य को आप भलीभाँति जान जाएँगें ।
प्रश्न - समाधि-दशा में कमसे कम कितने समय तक रहना चाहिए ॽ
उत्तर – समाधि दशा में कितने समय तक रहना चाहिए उसके लिए कोई निश्चित नियम नहीं है । किंतु एक बात विशेष रूप में याद रखिए कि समाधि दशा में मन कहाँ तक स्थिति करता है वह उतना महत्वपूर्ण नहीं जितना कि मन उस अवस्था में क्या अनुभव करता है और उस दशामें से जागृत होने पर उसका स्वरूप कैसा रहता है । समाधि की अवस्था का मूल्य समय पर से अंकित नहीं होता परंतु उस अवस्था के गुण-धर्म से अंकित होता है इसे हमेशा याद रखें ।
- © श्री योगेश्वर (‘ईश्वरदर्शन’)