प्रश्न – ज्योतिष शास्त्र के बारे में आपकी क्या राय है ॽ
उत्तर – आप क्या कहना चाहते हैं ॽ
प्रश्न – क्या ज्योतिष शास्त्र सच्चा है ॽ
उत्तर – मूलभूत रूप से सभी शास्त्र सच्चे हैं अथवा तो वे अमुक यथार्थ नियम या सिद्धांतो के आधार पर निर्मित हुए हैं । ज्योतिष शास्त्र के विषय में भी यही समझना है । यह शास्त्र गलत नहीं अपितु सत्य है । इसके पीछे निश्चित नियम, संविधान और गणित है । उस पर जिसका जितना काबू हो, उसी अनुपात में वह उसमें प्रवीण बन सकता है । अगर मनुष्य के भीतर ही कमी हो तो वह ज्योतिषशास्त्र को परखने में भूल भी कर सकता है । इससे पूरा ज्योतिषशास्त्र गलत नहीं हो जाता ।
प्रश्न – ज्योतिषशास्त्र की जरूरत है क्या ॽ
उत्तर – आपके लिए उसकी जरूरत है या नहीं यह आपको तय करना है । उसका आधार आपकी रुचि या प्रकृति पर निर्भर है । यदि आप प्रकृति से जिज्ञासु है और भूत तथा भविष्य के रहस्यों को जानना चाहते हैं, उसके प्रति आपकी विशेष रुचि है तो ज्योतिष की जरूरत आपके लिए सदैव रहेगी । आपकी उसके प्रति कशिश रहेगी । आपको उसके प्रति मीठी ममता एवं भावना रहेगी परंतु यदि आपको उसकी स्पृहा या लालसा न हो और जो हो गया है, होता है, व होनेवाला है, उससे आप संतुष्ट है तो उसकी आवश्यकता आपके जीवन में शायद ही पडेगी । इसका मतलब यह कि जहाँ तक जिज्ञासा है वहाँ तक ज्योतिष आपके या अन्य के लिए जीवित रहेगा । यदि भूत भावि को जानने की जिज्ञासा या अगम घटनाओं का भेद सुलझाने का कुतूहल नहीं होगा तब तो कोई प्रश्न ही नहीं है । फिर तो कुछ कहना शेष नहीं रहता । ज्योतिष सच है या जूठ यह प्रश्न ही नहीं रहेगा । यह सच है या नहीं उससे क्या मतलब ॽ आपके लिए यह हकिकत गौण हो जाएगी ।
प्रश्न – योगसाधना की सहायता से भूत भावि का ज्ञान होता है क्या ॽ
उत्तर – साधना करनेवाला योगी अगर चाहता है तो अवश्य हो सकता है । यह बात संपूर्ण सच्ची है इसमें कोई सन्देह नहीं । स्वानुभव के बिना यह समझ में नहीं आएगा ।
प्रश्न – ऐसा ज्ञान किस तरह होता होगा ॽ
उत्तर – योग की साधना में विकास करनेवाला योगी जब समाधि अवस्था में प्रवेश करता है और समाधि पर काबू पाता है तब उसके भीतर अलौकिक शक्ति का उदय होता है, उस शक्ति द्वारा समाधि की अवस्था दरम्यान वह अपनी इच्छानुसार ज्ञान की उपलब्धि कर सकता है । ऐसा योगी सत्यसंकल्प बन जाते है और अपने ही संकल्प की प्रतिक्रिया के रुप में भूत या वर्तमान काल के किसी व्यक्ति या वस्तु के ज्ञान को प्राप्त कर सकता है । फिर जागृति की अवस्था के दरम्यान भी उसके लिए ऐसा ज्ञान सहज हो जाता है ।
प्रश्न – ऐसे योगी पुरुष फिलहाल अस्तित्व में हैं क्या ॽ
उत्तर – क्यो नहीं है, अवश्य हैं । उनकी कृपा से उनका दर्शन अवश्य हो सकता है । सिर्फ उसके लिए प्रामाणिक ईच्छा या सच्ची लगन चाहिए । तदुपरांत अगर आप चाहे तो आप भी ऐसे लोकोत्तर योगी बन सकते हैं । आपके भीतर भी ऐसी शक्ति है । सिर्फ वह सुषुप्त अवस्था में निहित है पर आप ये नहीं जानते । उसे जगाओ और विकसित करो । फिर जो चाहो वो सबकुछ कर सकते हो । आत्मिक विकास का मार्ग सबके लिए खुला है लेकिन सब लोग उसका लाभ नहीं उठाते ।
- © श्री योगेश्वर (‘ईश्वरदर्शन’)