प्रश्न – जब मैं ध्यान में बैठता हूँ तो कभी कभी मन शांत हो जाता है और प्रकाश का दर्शन होता है । वह क्या है ॽ वैसे प्रकाश-दर्शन से आह्लाद का अनुभव तो होता ही है किंतु यह शंका भी पैदा होती है कि मैं किसी गलत राह पर तो नहीं जा रहा हूँ न ॽ इस बारे में आपके पथप्रदर्शन की आवश्यकता है मुझे ।
उत्तर – आपका प्रश्न महत्वपूर्ण और उपयोगी है । ध्यान में बैठते वक्त आपको प्रकाश-दर्शन होता है यह अनुभव बहुत अच्छा है ऐसा निस्संदेह समझिए । ध्यान की प्रक्रिया में आप आगे बढ़े हैं इसका यह सबूत है । किंतु इस बारे में शंकाशील बनने की जरूरत नहीं है । ध्यान की शांत अवस्था में कई साधकों को प्रकाश-दर्शन होता है और यह एक अच्छी निशानी है । ऐसा होने पर अपनी साधना पद्धति पर संशय करने के बजाय उत्साहपूर्वक आगे बढना चाहिए । स्वामी विवेकानंदजी के जीवन को पढेंगे तो आपको पता चलेगा कि प्रकाश-दर्शन का अनुभव उनको भी हुआ था ।
प्रश्न – क्या वैसा अनुभव सभी साधकों को होता है ॽ
उत्तर – नहीं होता । प्रकाश-दर्शन का अनुभव अच्छा और सच्चा है परंतु सभी साधकों को नहीं होता यह अच्छी तरह से याद रखिए । ध्यानमार्ग में भिन्न भिन्न साधकों को नानाविध अनुभव होते हैं । इसलिए एकको जो अनुभव होता है वह दूसरे को नहीं भी होता । इससे यह नहीं मान लेना है कि हमें होनेवाले अनुभव मिथ्या हैं । अपनी श्रद्धा को हमें बनाये रखना है । हमारे निजी अनुभवों का मूल्य हमारे लिए हमेशा रहता है ।
प्रश्न – प्रकाश दर्शन का लाभ लेकर किस तरह आगे बढ सकते हैं ॽ
उत्तर – प्रकाश-दर्शन के अनुभवजन्य आनंद व उत्साह को द्विगुणित करके ध्यान में आगे ही आगे बढ़िये और प्रकाश के भी उस पार पहुँचकर प्रकाश के निर्माता उस परमतत्त्व की अपरोक्ष अनुभूति कीजिए । वहाँ तक ध्यान का अभ्यास करते रहिए । हमेशा हमेशा के लिए याद रखिए कि आपका ध्येय ईश्वर-साक्षात्कार ही है । उसकी प्राप्ति के पूर्व होनेवाले अनुभवों में इतिश्री समझकर रुकिए मत । अन्यथा अपनी तरक्की के मार्ग में आप ही रोड़े अटकाएँगे । प्रकाश-दर्शन का अनुभव तो एक साधारण अनुभव है । आगे बढ़ने पर दूसरे उच्चकोटि के अनेकों अनुभव होते रहेंगे । कतिपय विशेष शक्तियाँ या सिद्धियाँ हासिल होगी । विकास के क्रम में ये सब अनुभव सहज रूप में स्वतः होते रहेंगे । ये सब आपको उत्साह प्रेरणा और श्रद्धा प्रदान करे तो कोई आपत्ति नहीं । किंतु ये आपको अपने में बन्दी न बना दें इसका खयाल रखिए । प्रकाश के परम प्रकाश, और सिद्धि के स्वामी श्री परमात्मा ही आपके लिए प्राप्तव्य और ध्यातव्य है इस बात को कभी मत भूलें ।
- © श्री योगेश्वर (‘ईश्वरदर्शन’)